
Ahoi Ashtami 2023: आप सभी को पता होगा कि अहोई अष्टमी पूजा एक धार्मिक और हिंदू परंपरा के मुताबिक मनाया जाने वाला बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है। सभी हिंदुओं में बताएं अपने बेटे की लंबी आयु के लिए उसके जीवन में आए दुखों को दूर करने के लिए माताएं इस व्रत को अपने बेटे के लिए रख दिया। ताकि वह अपने जीवन में खुशहाली और आगे खूब अधिक तरक्की करें।
आज हम अहोई अष्टमी पूजा के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं, इस साल होई पूजा का सबसे अच्छा शुभ मुहूर्त कितने बजे और कब आप सभी को पूजा करनी चाहिए। इस व्रत में सबसे अच्छा नियम विधि के बारे में हम विस्तार से बताएं हैं।
कृपया विस्तार से पढ़िए ताकि आप सभी अपने बेटे की लंबी उम्र की लिए सभी विधि विधानों का अच्छे से पालन करते हुए इस व्रत का अच्छे से लाभ उठा पाए।
Ahoi Ashtami 2023: जानिए कब पड़ता है अहोई अष्टमी
आप सभी को बता दे कि अपने-अपने पुत्र की मंगल कामना के लिए तथा उनके जीवन में हुए दुख को दूर करने के लिए माताएं अपने बेटे की लंबी उम्र की कामना हेतु इस व्रत को अच्छे से विधि विधान से पूजा करती है ताकि उसका बेटा जीवन में सुखी रह सके।
आप सभी को बता दे कि यह पूजा करवा चौथ के चार दिन बाद पड़ता है तथा दिवाली से 7 दिन पहले मनाया जाता है इसी बीच इसके शुभ मुहूर्त में पूजा करके आप अपने पुत्र के लिए भगवान से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
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Ahoi Ashtami 2023: आईए जानते हैं इस साल कब पड़ा है अहोई पूजा
आपको बता दे कि इस साल 2023 में रविवार के दिन यानी 5 नवंबर को यह पूजा पड़ा हुआ है। नवंबर यानि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि के प्रदोष काल में इस पूजा को किया जाएगा।
आपको बता दे कि इस पूजा के शुभ मुहूर्त की तिथि निर्धारित करने वाले सनातन धर्म के प्रसिद्ध और प्रख्यात पंडित कृष्ण दत्त शास्त्री ने बताया है कि यह पूजा 4 नवंबर को रात के 1:02 से इसका शुभ मुहूर्त का समय प्रारंभ होगा और यह शुभ मुहूर्त 5 नवंबर के रात करीब 3:21 पर इसका शुभ मुहूर्त समाप्त हो जाएगा।
आपको बता दे की अपने बेटे के लिए अहोई पूजा की व्रत की हुई माताएं प्रातः काल सूर्य को अर्घ देकर सूर्य देव की पूजा करके इस व्रत को विधिपूर्वक संपन्न करेंगे।
अहोई की पूजा कैसे करना है? विधि
आपको बता दे कि हमारे द्वारा अहोई पूजा की विधि जैसे बताई गई है और कोई बताएं इस पूजा के व्रत को पहली बार कर रहे हैं तो इस विधि का पालन कर सकती हैं।
- जो माताएं इस व्रत को रखने वाली है। वह इस दिन प्रातः का सूर्योदय से पहले उठ जाये। उसके बाद स्नान ध्यान करने के बाद अहोई माता की पूजा के लिए उनका चित्र बनाएं या बाजार में मिलने वाली और ही माता की फोटो लाकर भी इस पूजा को कर सकती हैं।
- शाम के समय बैठकर हाथ में गेहूं के 7 दाने और कुछ दक्षिणा लेकर तथा माता के सामने कलश से भरा हुआ जल भी अवश्य रखें। इस पूजा को करने के लिए अहोई माता की कथा को पढ़ सकती हैं या फिर सुन सकती हैं।
- इस पूजा में अहोई माता को रोली अक्षत से तिलक अवश्य करें।
- यह सब विधि को विधिवत पूरा करने के लिए माता के सामने हलवा पुरी का भोग लगाना चाहिए। उसके बाद रात में जब चंद्रमा दिखे तो तारों के प्रकाश में चंद्रमा को अरग दें।
- और अपने बेटे के मंगल कामना के लिए भगवान से प्रार्थना करते हुए इस पूजा की इतनी सी विधि का आप अवश्य पालन करें।
क्या यह व्रत सिर्फ लड़कों के लिए है, या लड़कियों के लिए
आपको बता दे की बहुत जगह महिलाएं जिनको पुत्र नहीं होता है। वह अपने लड़कियों के लिए इस व्रत का पालन करती है ताकि उनकी बेटी स्वस्थ और दीर्घायु रहे।
बेटा हो या बेटी किसी के लिए भी किया जा सकता है, ऐसा कई परिवार और माताओ का मानना है, कि आजकल बेटा और बेटी में क्या फर्क रह गया है।
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