हिंदू धार्मिक पौराणिक कथाओं के अनुसार इस कजरी तीज व्रत Kajli Teej Vrat Katha in Hindi PDF का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह तीज का व्रत सुहागन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है इस निर्जला व्रत का उपवास करके हर औरतें अपनी पति की लंबी उम्र के लिए भगवान से प्रार्थना करती हैं। और उनका साथ सात जन्मो तक बना रहे, इसके लिए भी वह भगवान से गुहार लगाती हैं।
किसी- किसी जगह कजरी तीज व्रत को कजली के नाम से भी जाना जाता है। इस तीज व्रत की पूजा करने की विधि बहुत ही अलग होती है। तथा हर विधि को आपको बहुत ही सावधानी और श्रद्धा पूर्वक करना चाहिए। तभी आपको इस पूजा से लाभ मिलता है। इस व्रत को करने के लिए महिलाओं को नए कपड़े, चूड़ी, गहने, मेहंदी जैसे सोलह सिंगार के साथ सज-धज के इस पूजा को शुरू करती हैं।
तो आइए जान लेते हैं कि वह कौन-कौन सी बातें हैं। और वह कौन-कौन सी विधि है, जो आपको इस पूजा में बरतनी चाहिए। ताकि आप अपने कजरी तीज व्रत त्यौहार को सच्चे और श्रद्धा पूर्वक मन से पूरा कर सकें।

कजरी तीज व्रत कब पड़ता है? | Kajli Teej Vrat
हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाएं इस कजरी तीज व्रत का बहुत बेसब्री से इंतजार करती हैं। आपको बता दें कि कजरी तीज व्रत का त्यौहार भाद्रपद हिंदी कैलेंडर के अनुसार अगस्त या फिर सितंबर माह में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है।
कहीं-कहीं कजरी तीज व्रत को कजली, सातुड़ी तीज या फिर बूढ़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। सुहागिन महिलाएं नीमड़ी माता की पूजा करती हैं। और उन्हें झूला झूलाती हैं। जिससे हिंदू परंपराओं के अनुसार नीमड़ी माता प्रसन्न होकर उनके पति की लंबी उम्र का वरदान देती है।
कजरी तीज व्रत कथा | Kajli Teej Vrat Katha in Hindi PDF
आपको बता दें कि कजरी तीज व्रत कथा हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इससे जुड़ी ढेर सारी कथाएं प्रचलित हैं। जिसमें से दो कथाएं बहुत ही महत्वपूर्ण है, ज्यादातर सुहागिन महिलाएं तीज व्रत त्यौहार इन्ही कथाओं को सुनकर पूरा करती है।
शिव और पार्वती माता की कजरी तीज व्रत कथा

हजारों समय पहले की बात है हिमालय पर्वत पर एक ऋषि रहा करते थे जिनका नाम हिमवान था। उनकी पत्नी का नाम मेंना था। मेना का कोई संतान नहीं था। उन्होंने कई वर्षों तक भगवान शिव की प्रार्थना की, तब जाकर उन्हें एक पुत्री की प्राप्ति हुई।
पुत्री की प्राप्ति होने के बाद ऋषि और मेंना बहुत प्रसन्न हुए, और उन्होंने अपनी पुत्री का नाम पार्वती रखा। पार्वती बहुत ही सुंदर और बुद्धिमान लड़की थी। जैसे-जैसे वह बड़ी होती गई उसके अंदर पूजा-पाठ धार्मिक कार्यक्रमों के लिए बहुत ही लालसा रहती थी।
एक दिन की बात है, पार्वती जी ने भगवान शिव से शादी करने के लिए इच्छा जताई। और उस पर भगवान शिव बोले तुम मुझे पाने के लिए मेरी तपस्या कर मुझे पसंद करना होगा । शंकर भगवान की बात को पार्वती माता ने मान लिया। और उन्होंने भगवान शिव के लिए 108 वर्ष तपस्या करने के पश्चात कजरी तीज व्रत के दिन उनकी तपस्या पूरी हुई।
प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने पार्वती माता को दर्शन दिया। और भगवान शिव उनसे विवाह करने का प्रस्ताव स्वीकार किया। और उन्होंने माता पार्वती से शादी कर ली। और वे दोनों बहुत खुश थे, पार्वती माता और भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर वास करते हैं।
कजरी तीज का व्रत पति-पत्नी के प्रेम और आदर के प्रतीक है। यह व्रत रखने से सुहागिनों का वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
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गरीब ब्राह्मण की तीज व्रत की कहानी
एक समय की बात है एक गांव में एक बहुत ही गरीब ब्राह्मण रहता था। शादी के कुछ समय के बाद भाद्रपद महीने में उसके घर कजरी तीज व्रत का सामान आया। ब्राह्मणी ने तीज व्रत त्योहार का उपवास रखा। ब्राह्मणी ने अपने पति से कहा मेरा आज तीज माता का व्रत है मेरे लिए कहीं से चने का सत्तू लेकर आओ। ब्राह्मणी की बातों को सुनकर ब्राह्मण बड़ी चिंतित होता है क्योंकि उसके पास सत्तू लाने के भी पैसे नहीं थे।
ब्राह्मण ने बोला मैं सब तू कहां से लाऊं मेरे पास तो पैसे भी नहीं है। इस बात पर ब्राह्मण की पत्नी ने कहा कहीं से लेकर आओ चोरी करो डाका डालो पर मुझे सत्तू चाहिए।
रात का समय था। ब्राह्मण सत्तू की तलाश में एक साहूकार की दुकान में घुस जाता है। दुकान में घुसकर सभी सामान को सवा किलो के हिसाब से वह चने का दाल, घी, शक्कर लेकर सत्तू बना लेता है। जैसे ही वह सामान लेकर बाहर निकलता है। आवाज सुनकर दुकानदार की नींद खुल जाती है और वह उसको पकड़ लेता है।
ब्राह्मण बोल- मैं चोर नहीं हूं। मैं एक गरीब ब्राह्मण हूं। मेरी पत्नी का आज तीज व्रत का त्यौहार इसीलिए मैं सवा किलो चने का दाल, घी और शक्कर ले जा रहा था। साहूकार ने जब तलाशी ली। तब गरीब ब्राह्मण के पास केवल यही चीजें मिली। धीरे-धीरे चांद निकल आया था। ब्राह्मण की पत्नी इंतजार कर रही थी।
गरीब ब्राह्मण की बात सुनकर साहूकार को दया आ जाती है और उसने कहा कहता है कि मैं तुम्हारी पत्नी को अपनी बहन मानता हूं तुम सामान ले जा सकते हो उसने सत्तू के अलावा मेहंदी, गहने, नई साड़ी देखा खुशी से विदा करता है। घर आकर सभी ने मिलकर कजरी तीज व्रत का त्योहार हो बहुत ही धूमधाम से मनाया।
जिस प्रकार मुसीबत में गरीब ब्राह्मण का दिन फिरा, वैसे ही सबके दिन फिरे। कजरी माता का आशीर्वाद सदा ऐसे ही सदा बना रहे।
कजरी तीज व्रत की सामग्री | Kajli Teej Vrat Ingredients
कजरी तीज व्रत की पूजा करने के लिए कुछ आवश्यक सामग्री की जरूरत होती है यह सामग्री आपके पास जरूर होना चाहिए। तभी आप इस पूजा में सफलतापूर्वक बिना किसी त्रुटि के पूरा कर पाएंगी।
- तुलसी का पौधा
- गंगाजल
- घी
- शहद
- शक्कर
- फल
- फूल
- दूध
- दही
- मिठाई
- प्रसाद के लिए अन्य सामग्री
कजरी तीज व्रत की पूजा विधि | Kajli Teej Vrat Pooja

- कजरी तीज व्रत करने के लिए, सुहागिनों औरतों को सुबह उठकर स्नान करना चाहिए। फिर, वे व्रत का संकल्प ले सकती हैं। व्रत के दौरान, उन्हें निर्जला उपवास रखना होता है।
- सबसे पहले आपको अपने घर या छत पर एक छोटा सा रेत से एक तालाब बनाना होता है। उस तलाब के किनारे एक छोटी सी नीम की टहनी लगाकर उस पहने पर लाल कपड़ा रख दे।
- इतना करने के बाद आपको गणेश और लक्ष्मी माता की फोटो या मूर्ति रख देना चाहिए। किसी भी सुबह पूजा को करने के लिए गणेश जी और लक्ष्मी जी की पूजा अनिवार्य होता है।
- उसके बाद आप तालाब किनारे रखे निम के टहनी पर सत्तू , गुड चढ़ाकर तीज माता की पूजा करें। उसके बाद दूध और पानी तालाब में डाल दें।
- और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। रात को, उन्हें अपने पति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
- कजरी तीज व्रत का पारण अगले दिन सुबह करना चाहिए। पारण के समय, सुहागिनों को अपने पति के साथ मिलकर प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। तभी जाकर पूजा संपन्न मानी जाती है।
कजरी तीज व्रत के नियम | Kajli Teej Vrat Rules
- कजरी तीज के दिन, सुहागिनों को सुबह उठकर स्नान करना चाहिए।
- वे व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन निर्जला उपवास रखें।
- भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
- रात को अपने पति के लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें।
- अगले दिन सुबह पारण करें।
कजरी तीज व्रत के लाभ | Kajli Teej Vrat Benefits
- कजरी तीज व्रत रखने से सुहागिनों का वैवाहिक जीवन सुखी और अपने पति के साथ सुखमय जीवन व्यतीत करती है।
- यह व्रत पति-पत्नी के प्रेम और आदर को बढ़ाता है। तथा उनके बीच प्यार की रिश्ते को और मजबूत करता है।
- यह व्रत सुहागिनों को सुंदरता और सौभाग्य प्रदान करता है।
- इस व्रत को कुंवारी कन्या भी तीज माता से अपना मनचाहा वर मांगने के लिए रख सकती हैं।
निष्कर्ष
उम्मीद करते हैं। दोस्तों आप सभी को हमारा Kajli Teej Vrat Katha in Hindi PDF आर्टिकल आप सभी को पसंद आया होगा। अगर पसंद आया होगा, तो आप इसे आगे अपने परिवार और दोस्तों में शेयर करें। ताकि आप सभी के घर में तीज व्रत करने वाली सुहागिन महिलाओं को इस व्रत के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिल सके। और जिससे वह पूजा को पूरे विधि विधान से संपन्न कर सकें। धन्यवाद!
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